Thursday, June 17, 2010

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का बलिदान दिवस

कल झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का बलिदान दिवस था , मैं कोटा के जिस जे०डी०बी०गर्ल्स कॉलेज में पढ़ी हूँ,वहाँ लक्ष्मी बाई की प्रतिमा स्थापित है और हर वर्ष इस दिन उह्नें नमन कर लिया जाता है ।
कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि क्या ये लोग हमारे इस तरह के तथाकथित नमन के मोहताज हैं ?
अरे,ये तो वो लोग थे जिन्होनें सिर्फ और सिर्फ अपने वतन से और अपने वतन के लोगों से प्यार किया,लेकिन अपनी कुर्बानी देकर जब ये आज़ाद गुलिस्ताँ उन्होंने छोड़ा होगा तब उन्होंने तो कल्पना भी नहीं की होगी कि आने वाली पीढ़ी को तो ख़ुद से भी प्यार करना नहीं आयेगा ,वतन से क्या प्यार करेंगे ।
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के प्रति ऐसी अनदेखी और बेरुखी दिल को बहुत ठेस पहुँचाती है,इसका कारण ये है कि मेरे पिता,दादा और परदादा क्रान्तिकारी थे और दादाजी श्री हनुमान प्रसाद सक्सेना"दिनेश" उस समय हिन्दी साहित्य का प्रचार भी करते थे,पिता श्री रमेश"अनिल" भी क्रान्तिकारी गतिविधियों के अलावा कवि और पत्रकार भी थे ,उनसे हमें राष्ट्र-प्रेम के संस्कार मिले ।
मैंने अपने दादाजी को तो नही देखा,लेकिन अपने पिता को अपने सामने दुनिया छोड़ते देखा किन्तु आज भी मैं अपने पिता-दादा के नाम के आगे स्वर्गीय शब्द का इस्तेमाल नहीं करती,क्योंकि मेरा मानना है कि आज भी वे अपने संस्कारों के रूप में हमारे भीतर जीवित हैं,मेरे पापा कहा करते थे -
'ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है,
मुर्दादिल क्या ख़ाक जिया करते हैं '।
ज़ी०टी०वी० को धन्यवाद कि उन्होंने अपनी लीक से हटकर 'झाँसी की रानी' बनाया ।
देश के स्वाधीनता संग्राम में अपनी आहुति देने वाले हर सैनानी के चरणों में शीश झुका कर शत-शत नमन !

Sunday, June 13, 2010

तालाब-बावड़ियाँ ;- पीने के पानी का भंडार हैं,इन्हें बचायें ।

पृथ्वी वासियों,
हमें हमारी धरती माता और जल की एक-एक बूँद को बचाना है । हमें बहते हुए पानी में गंदगी,कूड़ा-करकट आदि नहीं डालना चाहिये ।
हम हमारे तालाब-बावड़ियों की सफाई के प्रति जागरुक हो जायें तो पीने का पानी कभी कम ना होगा ।
आज सवेरे मैं अपने अपने पति और अपनी बेटी बाल कलाकार आस्था के साथ राजस्थान पत्रिका के अमृतम-जलम अभियान का हिस्सा बनी,हमारे कोटा की पहचान किशोर सागर तालाब की सफाई के महा - अभियान में मैंने पहले तो मिट्टी उठवाने में हाथ बँटाया किंतु मुझे लगा कि क्षमता के अनुसार तगारी को फावड़े से भरने का काम मैं ज़्यादा अच्छा कर लूँगी सो मैंने एसा ही किया और तगारी भर कर लोगों को थमाती गयी,मुझे ये काम करते देख वहाँ मौजूद कई समाज सेवियों और लोगों ने मेरी तगारियाँ उठाईं ।
इस कार्य में वहाँ आज मेरी बेटी एक ही बालिका थी ,जिसका वहाँ मौजूद सभी लोगों ने हौंसला भी बढ़ाया ।

इस अभियान में राजस्थान के गृहमंत्री श्री शान्ति धारीवाल,पंचायती राज मंत्री श्री भरत सिंह,कोटा के विधायक,नेता,कोटा की मेयर डॉ०रत्ना जैन,इतिहासकार डॉ० जगत नारायण श्रीवास्तव,पत्रिका के संपादक श्री चेतन गाँधी सहित 300 से अधिक लोग रोज़ लगे हुए हैं ।
इस महा-अभियान में सवेरे 6 बजे से 8बजे तक सभी समुदायों जैसे बोहरा समाज,मुस्लिम समाज,अखिल विश्व गायत्री परिवार,विश्व एकता मंच,संगीत संकल्प से हम दोनों( देवेन्द्र सक्सेना-संगीता सक्सेना),डॉक्टर्स,इन्जीनीयर्स एवं नियमित प्रातः भ्रमण पर जाने वाले महिलाएँ और बच्चे सभी पूरे उत्साह के साथ कई दिनों से श्रमदान कर रहे हैं ।इन सबको देखकर एक पुराना गीत याद आता है
      'साथी हाथ बढ़ाना,एक अकेला थक जायेगा,
       मिल कर बोझ उठाना,साथी हाथ बढ़ाना '
ईश्वर सबकी मेहनत अवश्य सफल करेंगे और हमारे कोटा की शान , जगत में कोटा की पहचान हमारा किशोर सागर तालाब वर्षा जल से लबालब भरेगा और तब उसे देख कर आज जो लोग श्रमदान कर रहे हैं उनको बेहद  खुशी होगी ।
काश !  संपूर्ण भारत में ऐसा महा-अभियान युद्ध स्तर पर शीघ्रातिशीघ्र छिड़ जाये तो भारत में पानी
की कभी कमी नहीं रहेगी और ज़मीनी पानी बचत हो जायेगी,जो कि हमारी धरती माता की सेहत के लिये भी अच्छा साबित होगा ।

Saturday, May 29, 2010

बिछुडे हुए बेटे को माँ से मिलाकर सुकून मिला

राजस्थान पत्रिका द्वारा आयोजित समर केम्प में अपनी योग और संगीत क्लासेस लेकर जैसे ही घर लौटने के लिये अपनी कार स्टार्ट करने लगी तभी एक किशोर ने
आवाज लगायी -आंटी जी हमें आप क्या जबलपुर पहुंचा सकती है ? हमें पैसा नहीं चाहिए हमें गाडी का टिकिट दिलवा कर हमारी मदद कर दीजिए यह कह्कर वह किशोर रोने लगा। 10 वीं कक्षा में जबलपुर के एक स्कूल में पढने वाले इस किशोर का नाम आशीष चौकसे था । पिता जी की मृत्यु पूर्व में ही हो चुकी है , माँ गीता बाई और एक छोटे भाई के साथ यह छोटा सा परिवार जबलपुर से लगभग
45किमी०दूर कालादेही गाँव में रहता है । माँ से किसी बात पर झगडा होने पर 5 दिन पूर्व आशीष घर से 500/-रु० मार्कशीट रेल्वे सीजन
टिकट (जबलपुर से कालादेही) तथा कुछ कपडे लेकर दयोदय एक्सप्रेस से जयपुर के लिये घर छोडकर चल दिया । छोटी उम्र अनुभव की कमी,अपनों की दूरी भीषण गर्मी,टी०टी० एवं पुलिस की बेरुखी से भारत का यह भावी नागरिक शीघ्र ही टूट कर
वापस दयोदय एक्स्प्रेस मं बैठकर जबलपुर के लिये चल दिया किन्तु टी०टी० ने टिकिट न होने के कारण पुलिस की मदद
से उसे कोटा स्टेशन पर उतार दिया । सारी रात भूख से कुलबुलाते हुए आशीष सवेरा होने की प्रतीक्षा करता रहा ।
दिन में उसने कई लोगोंसे मदद माँगी किन्तु किसी को उसकी उम्र एवं परेशानी पर तरस नहीं आया । मैंने उसकी पूरी बात सुनी
और उसे नाश्ता कराया तथा खर्च के लिये पर्याप्त पैसे देकर अपनी मित्र अन्तर्राष्ट्रीय टी०टी०खिलाडी श्रद्धा शर्मा को डी०आर०एम०
ऑफिस फोन करके बालक को उन तक पहुँचाया वहाँ बालक ने स्नान किया एवं उसे भोजन कराया गया तथा रात को दयोदय एक्स्प्रेस से रेल्वे स्टाफ के साथ आशीष को जबलपुर पहुँचाया गया । राष्ट्रीय संगीत संकल्प के जबलपुर परिवार ने बालक की माँ तक उसके लौटने की ख़बर पहुँचाने में हमारी बहुत मदद की ।
फोन की सुविधा मिलते ही अभी-अभी आशीष ने सूचित किया कि संगीता आंटी मैं ठीक से गाँव पहुँच गया हूँ,फोन चार्ज नहीं होने के
कारण सूचना देरी से कर पा रहा हूँ ,कोटा राजस्थान के लोग बहुत अच्छे हैं,मैं इस मदद को कभी नही भूल पाऊँगा और ऐसी
गल्ती फिर से नहीं करूँगा ।

इस घटना ने मुझे हिलाकर रख दिया,न जाने कितने बच्चे ऐसी गलती कर बैठते हैं किन्तु जब वो सुधरना चाहते हैं तो बहुत कम बच्चे आशीष जैसी किस्मत रखते हैं ।
मुझे लगता है कि हमें ऐसे बच्चों को समझना और फिर समझाना चाहिये तथा यथासंभव मदद भी करनी चाहिये । मुझे सुकून और खुशी है कि ईश्वर ने इस नेक कार्य के लिये मुझेमाध्यम बनाया ।

राष्ट्रीय संगीत संकल्प परिवार की मानवीयता का एक अनुकरणीय उदाहरण

डॉ०मुकेश गर्ग द्वारा स्थापित राष्ट्रीय संगीत संकल्प परिवार वास्तव में एक परिवार की तरह है,इसे हम बरसों से मह्सूस करते आये हैं,हम इसके मंच पर राष्ट्रीय कार्यक्रमों में रायपुर,सूरत,अहमदाबाद और हल्द्वानी जैसी कई जगह प्रस्तुति के लिये गये हैं। इस परिवार की मानवीयता का सबसे ताज़ा उदाहरण है बालक आशीष का किस्सा ।मैं बालक आशीष को डी०आर०एम० ऑफिस कोटा भेज कर जब घर लौटी तब मेरे पति देवेन्द्र,(उप सचिव,संगीत संकल्प,कोटा) संगीत संकल्प के जबलपुर राष्ट्रीय अधिवेशन की स्मारिका से वहाँ के सदस्यों के न० देख कर उनसे संपर्क कर रहे थे ।
स्मारिका से हमें जबलपुर अध्यक्ष माननीय साधना उपाध्याय जी का न० मिला,उन्हें फोन पर सारी स्थिति और हमारी जबलपुर से दूरी की मजबूरी से अवगत कराया तो उन्होंने कई प्रकार से 45 कि०मी० दूर गाँव कालादेही में रह रही बालक आशीष की माँ तक हमारा संदेश पहुँचाने का भरसक प्रयास किया कि आपका बेटा आशीष कल सकुशल घर पहुँच रहा है ,किन्तु उसकी माँ का फोन बंद पाया गया तो उन्होंनें आस-पास के गाँव में माननीय मेधा पाटकर जी के कार्यकर्ताओं से संपर्क किया ।इधर हम उनसे बराबर संपर्क साधे हुए थे और वे हमारे हर फोन का शान्तिपूर्वक और सकारात्मक जवाब भी दे रहीं थीं ।
आज के इस दौर में जहाँ परिवार व्यवस्था चरमरा रही है,ऐसे में संगीत संकल्प जैसे संगीत के साधनारत कलाकारों के राष्ट्रव्यापी परिवार का एक अंग होने पर स्वयं पर गर्व की अनुभूति होती है तथा मन को सुकून मिलता है । डॉ० गर्ग साधुवाद के पात्र हैं ।

Friday, May 14, 2010

The time is money

Generally we say - 'the time is money.'

We call the time is money because the money is a strong and important pillar which helps us
to stand in the society.Similarly,the time is also an important and valuable part of human life.We should
sincerely think over the value of time.

One,who knows the value of time,never waste his time because he knows how to manage his works in time and that is the person who is known as a man having a wakeful mind.
We should be as punctual as the Sun,because if the Sun gets late at the time of rising and setting,it will effect tremendously to the life on the Earth.
Just as if we get late it may give us a loss of life and money because time never waits for anyone,so, we should act wisely.
we should be punctual .because it is just a courtsey,it makes our ways convenient.
समय की मॉग है,खुद जाग जाओ प्रातः से पहले,
व्यवस्थाऍं जुटाओ रोशनी की,रात से पहले,
सजाते ही रहो तुम दीप,न जब तक भोर हो जाये,
समय रह्ते संभल जाओ,न पल भर देर हो जाये ...................
न पल भर देर हो जाये...............
न पल भर देर हो जाये....................

Sunday, May 2, 2010

जल ही जीवन है

यदि हम अपने घर से शुरु करे तो ही जल का बचना सम्भव है ,उसके  लिये हमे तरीके सोचने होगे १
१. जब भी हम बाहर से आते है तो चेहरा धोने की आदत होने पर हमे मग मे पानी लेना चाहिये १
२. ब्रश करते समय मग मे पानी ले १
३.  कपडे धोते समय हमे आधी-आधी बाल्टी पानी मे कपडो का साबुन सर्फ धोना चाहिये ,उससे पानी कम खर्च
      होता है १
४.  जब हम सब्जी,चावल या दाल आदि को साफ करे तो उस पानी को हमे गमलो मे डाल देना चाहिये जिससे
      पौधो मे अलग से पानी नही डालना पडेगा और पौश्टिक पानी पौधो को मिल जायेगा १
५. कार आदि को धोते समय ध्यान रखे कि तीन-चार मग पानी गाडी पर डाले और फिर एक कपडे से उसे रगड
     कर साफ कर दे १
     इस प्रकार हम कई काम करते समय जल की बचत कर सकते है १  

Friday, April 23, 2010

सचिन का जन्मदिन ,

सचिन...............
हमारे देश का अभिमान,देश की हर मा  का  दुलारा और भारत माता का गर्व.........................
ऐसे देश भक्त और  समर्पित प्लेयर को जन्मदिन की बहुत सारी शुभकामनाये !!!!!!!!!