Saturday, June 11, 2011

आज संवेदनहीनता अपनी पराकाष्ठा पर है

भारत में संत परम्परा सदैव समृद्ध रही है,तथा संतों का इस देश में सदा पूजनीय दर्जा रहा है ।
इतिहास गवाह है कि भारत में संतों ने हमेशा राष्ट्रहित के लिये कार्य किया है ।
आज भी भारत में एक संत राष्ट्र हित के लिये अनशन पर हैं और इसके चलते उनके शारीरिक स्वास्थ्य की स्थिति चिंताजनक देखकर हम ये सोचने पर मजबूर हैं कि क्या इस समय देश की जनता की मानसिकता चिंताजनक नहीं है ? क्योंकि संभवतः यहाँ संवेदनहीनता अपनी पराकाष्ठा पर है,जबकि इस समय होना तो ये चाहिये कि हम सभी भारतीय एकजुट होकर राष्ट्रहित में सोचें ।
ईश्वर न करे किन्तु यदि आज राष्ट्रहित के लिये सोचने वाले संतों की शारीरिक हानि होती है तो वह स्थिति इस देश के लिये दुर्भाग्यपूर्ण व अक्षम्य होगी ।
स्वतंत्रता सैनानी की पौत्री व पुत्री होने के कारण देश हित में सोचना मेरे संस्कारों में निहित है,अतः 4जून से मैं व मेरे पति देवेन्द्र एक दि्न छोड़कर
एक दिन क्रमिक अनशन कर रहे हैं और पिछले सात दिन से टाईफॉयड एवं तेज़ बुखार से पी्ढ़ित अपनी 12 वर्षीय पुत्री को भी संभाल रहे हैं और इसी कारण से घर से बाहर न जा पाने के कारण फोन एवं SMS के ज़रिये अधिक से अधिक लोगों को जागृत कर रहे हैं ।

Sunday, June 5, 2011

बापू द्वारा बताये गये अहिंसात्मक सत्याग्रह का बर्बरतापूर्वक अपमान ।

राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी द्वारा बताये गये अहिंसात्मक सत्याग्रह का एक ब्रह्मचारी सन्यासी के नेतृत्व में अनुसरण करते हुए हज़ारों भूखे-प्यासे लोगों,जिनमें सन्त-फकीर,ज्ञानी-मौलाना आदि सहित महिला-पुरुष और बच्चे-बुज़ुर्ग सभी शामिल थे,उन पर आधी रात को लाठी,आँसू गैस और
पथराव करके अनशन स्थल से तितर-बितर कर दिया जाना कहाँ तक उचित है ?मंच को आग के हवाले कर देने के बाद क्या जन-हानि से इन्कार किया जा सकता था ? क्या इस तरह की प्रशासनिक और बर्बर कार्यवाही विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में लोकतंत्र का मखौल नहीं कही जायेगी ?
क्या शान्तिपूर्वक तरीके से दिन में लोगों को हटाने का प्रयास नहीं किया जा सकता था ?
बड़े दुख का विषय है कि गत रात की घटना ने लोगों को 1975 की इमरजैंसी को याद करने को मजबूर कर दिया है ।
आज तक हमने जलियाँ वाला बाग काँड के बारे में सुना भर था किन्तु  92 वर्ष
बाद कल रात वो मंज़र देखने को मिला,सबसे अधिक दुख की बात यह है कि उस वक्त तो अंग्रेजों ने हिन्दुस्तानियों पर हमला किया था,
जो कि हमारे दुश्मन थे,किन्तु कल तो हमारे ही लोगों ने हमारे ही लोगों पर अत्याचार किया । जो लोग बापू के सिद्धांतों की दुहाई दिया करते हैं वही बापू द्वारा बताये गये अहिंसात्मक सत्याग्रह पर बैठे लोगों पर बर्बर कार्यवाही करते हैं ।क्या इससे बापू के सिद्धांतों का खुला अपमान नहीं हुआ ।
सदियों से जिस देश में सन्यासियों को राजगुरु का दर्जा देकर पूजनीय माना गया है आज उस देश में एक ब्रह्मचारी सन्यासी, जो स्वहित के लिये नहीं राष्ट्र के 121करोड़ लोगों के लिये अनशन कर रहे थे,उनके साथ ऐसा व्यवहार क्या भारत की आत्मा को नहीं झकझोरेगा ?
आज देश में उत्पन्न इन हालातों से मन बहुत दुखी है ।
संगीता सक्सेना,
(एक स्वतंत्रता सैनानी परिवार की बेटी,जिसकी तीन पीढ़ियों ने स्वतंत्रता संग्राम में अपनी सक्रिय भूमिका निभाई थी )

Saturday, April 9, 2011

भ्रष्टाचार मिटाओ अभियान और आम आदमी की उम्मीद !

‎121 करोड़ जनसंख्या वाले इस भारत में हर दूसरा शख्स किसी न किसी तरह
भ्रष्टाचार से पीड़ित है,यूँ कहना चाहिये कि भ्रष्टाचार ऐसा खतरनाक वायरस
बन चुका है जो कि देश से सच्चाई और ईमानदारी को डिलीट करने में लगा हुआ
है,किन्तु अब लगता है कि अन्ना के साथ सारे हिन्दुस्तान का एक स्वर में
समर्थन ही देश की किस्मत औत छवि सुधार सकेगा ।

वयोवृद्ध अन्ना हजारे के अनशन के समर्थन में ।


शांति की राह पर चलते हुए एक बड़ी क्रांति का नेतृत्व कर रहे अन्ना साहब हजारे उम्र की अन्तिम पायदान पर होते हुए भी देश को भ्रष्टा्चार मुक्त करके राम-राज्य की स्थापना करना चाहते हैं । सोचने का विषय ये है कि अन्ना साहब के इस प्रयास से सारे समाज को चारित्रिक प्रदूषण से तो मुक्ति मिलेगी ही, साथ ही युवा पीढ़ी को अपना सुरक्षित भविष्य मिलेगा ।मैं स्वयं एक शास्त्रीय गायिका हूँ और आरक्षण जैसी बीमारी के कारण अपनी योग्यता को मुकाम नहीं दे सकी,मुझ जैसे न जाने कितने योग्य और शिक्षित बेरोजगार समझोते की जिन्दगी जी रहे होंगे ।
इसलिये मेरी अपील है कि हमें मन,वचन और कर्म से अन्ना हजारे साहब की इस मुहिम का अटूट हिस्सा बनना चाहिये ।

सोचने का विषय ...........................

आदरणीय अन्ना साहब, आज एक ईमानदार आम आदमी कितनी समस्याओं से जूझ रहा है,किस-किस का जिक्र करे...अपनी बहू-बेटी के लिये भारतीय पारम्परिक गहने चाँदी की पायल और सोने की अँगूठी तक लेना उसके लिये आसान नहीं ..क्योंकि चाँदी 60,000/- प्रति किलो और सोना 25,000 प्रति तोला से ऊपर है.........उसे घर बनाना भी असम्भव हो रहा है क्योंकि भू माफियाओ ने जमीनों के भाव आसमान पर पहुँचा दिये हैं,ऐसे में आम आदमी क्या करे.........

Thursday, June 17, 2010

झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का बलिदान दिवस

कल झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का बलिदान दिवस था , मैं कोटा के जिस जे०डी०बी०गर्ल्स कॉलेज में पढ़ी हूँ,वहाँ लक्ष्मी बाई की प्रतिमा स्थापित है और हर वर्ष इस दिन उह्नें नमन कर लिया जाता है ।
कभी-कभी मैं सोचती हूँ कि क्या ये लोग हमारे इस तरह के तथाकथित नमन के मोहताज हैं ?
अरे,ये तो वो लोग थे जिन्होनें सिर्फ और सिर्फ अपने वतन से और अपने वतन के लोगों से प्यार किया,लेकिन अपनी कुर्बानी देकर जब ये आज़ाद गुलिस्ताँ उन्होंने छोड़ा होगा तब उन्होंने तो कल्पना भी नहीं की होगी कि आने वाली पीढ़ी को तो ख़ुद से भी प्यार करना नहीं आयेगा ,वतन से क्या प्यार करेंगे ।
स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारियों के प्रति ऐसी अनदेखी और बेरुखी दिल को बहुत ठेस पहुँचाती है,इसका कारण ये है कि मेरे पिता,दादा और परदादा क्रान्तिकारी थे और दादाजी श्री हनुमान प्रसाद सक्सेना"दिनेश" उस समय हिन्दी साहित्य का प्रचार भी करते थे,पिता श्री रमेश"अनिल" भी क्रान्तिकारी गतिविधियों के अलावा कवि और पत्रकार भी थे ,उनसे हमें राष्ट्र-प्रेम के संस्कार मिले ।
मैंने अपने दादाजी को तो नही देखा,लेकिन अपने पिता को अपने सामने दुनिया छोड़ते देखा किन्तु आज भी मैं अपने पिता-दादा के नाम के आगे स्वर्गीय शब्द का इस्तेमाल नहीं करती,क्योंकि मेरा मानना है कि आज भी वे अपने संस्कारों के रूप में हमारे भीतर जीवित हैं,मेरे पापा कहा करते थे -
'ज़िंदगी ज़िंदादिली का नाम है,
मुर्दादिल क्या ख़ाक जिया करते हैं '।
ज़ी०टी०वी० को धन्यवाद कि उन्होंने अपनी लीक से हटकर 'झाँसी की रानी' बनाया ।
देश के स्वाधीनता संग्राम में अपनी आहुति देने वाले हर सैनानी के चरणों में शीश झुका कर शत-शत नमन !

Sunday, June 13, 2010

तालाब-बावड़ियाँ ;- पीने के पानी का भंडार हैं,इन्हें बचायें ।

पृथ्वी वासियों,
हमें हमारी धरती माता और जल की एक-एक बूँद को बचाना है । हमें बहते हुए पानी में गंदगी,कूड़ा-करकट आदि नहीं डालना चाहिये ।
हम हमारे तालाब-बावड़ियों की सफाई के प्रति जागरुक हो जायें तो पीने का पानी कभी कम ना होगा ।
आज सवेरे मैं अपने अपने पति और अपनी बेटी बाल कलाकार आस्था के साथ राजस्थान पत्रिका के अमृतम-जलम अभियान का हिस्सा बनी,हमारे कोटा की पहचान किशोर सागर तालाब की सफाई के महा - अभियान में मैंने पहले तो मिट्टी उठवाने में हाथ बँटाया किंतु मुझे लगा कि क्षमता के अनुसार तगारी को फावड़े से भरने का काम मैं ज़्यादा अच्छा कर लूँगी सो मैंने एसा ही किया और तगारी भर कर लोगों को थमाती गयी,मुझे ये काम करते देख वहाँ मौजूद कई समाज सेवियों और लोगों ने मेरी तगारियाँ उठाईं ।
इस कार्य में वहाँ आज मेरी बेटी एक ही बालिका थी ,जिसका वहाँ मौजूद सभी लोगों ने हौंसला भी बढ़ाया ।

इस अभियान में राजस्थान के गृहमंत्री श्री शान्ति धारीवाल,पंचायती राज मंत्री श्री भरत सिंह,कोटा के विधायक,नेता,कोटा की मेयर डॉ०रत्ना जैन,इतिहासकार डॉ० जगत नारायण श्रीवास्तव,पत्रिका के संपादक श्री चेतन गाँधी सहित 300 से अधिक लोग रोज़ लगे हुए हैं ।
इस महा-अभियान में सवेरे 6 बजे से 8बजे तक सभी समुदायों जैसे बोहरा समाज,मुस्लिम समाज,अखिल विश्व गायत्री परिवार,विश्व एकता मंच,संगीत संकल्प से हम दोनों( देवेन्द्र सक्सेना-संगीता सक्सेना),डॉक्टर्स,इन्जीनीयर्स एवं नियमित प्रातः भ्रमण पर जाने वाले महिलाएँ और बच्चे सभी पूरे उत्साह के साथ कई दिनों से श्रमदान कर रहे हैं ।इन सबको देखकर एक पुराना गीत याद आता है
      'साथी हाथ बढ़ाना,एक अकेला थक जायेगा,
       मिल कर बोझ उठाना,साथी हाथ बढ़ाना '
ईश्वर सबकी मेहनत अवश्य सफल करेंगे और हमारे कोटा की शान , जगत में कोटा की पहचान हमारा किशोर सागर तालाब वर्षा जल से लबालब भरेगा और तब उसे देख कर आज जो लोग श्रमदान कर रहे हैं उनको बेहद  खुशी होगी ।
काश !  संपूर्ण भारत में ऐसा महा-अभियान युद्ध स्तर पर शीघ्रातिशीघ्र छिड़ जाये तो भारत में पानी
की कभी कमी नहीं रहेगी और ज़मीनी पानी बचत हो जायेगी,जो कि हमारी धरती माता की सेहत के लिये भी अच्छा साबित होगा ।